October 12, 2025

dainik

RAIGARH ANCHAL

स्वार्थी शासक और जनता का विश्वासघात : विदेशी व्यापारियों के स्वागत में बिकता राष्ट्रहित

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स्वार्थी शासक और जनता का विश्वासघात : विदेशी व्यापारियों के स्वागत में बिकता राष्ट्रहित

छत्तीसगढ़ – मैं उसी राज्य का पुत्र हूं, जिसकी जनता आज अपने ही शासक के कुशासन से त्रस्त है। विडंबना देखिए, जिस धन का अधिकार सीधे जनता का होना चाहिए, उसी धन का उपयोग राजा अपने निजी स्वास्थ्य, ऐश्वर्य और सुख–सुविधाओं के लिए कर रहा है। जनता की रक्त-पसीने की कमाई का धन जब राजसी महलों में बहाया जाता है, तो यह केवल आर्थिक शोषण नहीं बल्कि विश्वासघात भी है। ऐसे शासक को और क्या कहा जाए, सिवाय इसके कि वह स्वार्थी और जनविरोधी है।

राजा का कर्तव्य जनता की सेवा करना होता है, न कि अपनी झोली भरना। परन्तु यहां तस्वीर उलटी है। जनता मूलभूत सुविधाओं – शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और सड़कों के लिए संघर्ष कर रही है, जबकि राजा और उसका तंत्र केवल अपने सुख-भोग में लिप्त है। यह असमानता उस जर्जर व्यवस्था का उदाहरण है, जिसमें लोकतंत्र का नाम तो है पर व्यवहार में तानाशाही और शोषण व्याप्त है।

और अब, जैसे जनता की पीड़ा पर्याप्त न हो, राजा विदेशी व्यापारियों को राज्य में आमंत्रित कर रहा है। क्या हमारे देश के व्यापारी और उद्यमी इतने कमजोर हो गए हैं कि उनकी जगह बाहरी ताकतों को बुलाना पड़े? यह कदम न केवल स्थानीय व्यापारियों का अपमान है, बल्कि हमारी आर्थिक स्वतंत्रता को खतरे में डालने वाला भी है।

इतिहास गवाह है कि अंग्रेज भी व्यापार के बहाने ही भारत आए थे। धीरे-धीरे उन्होंने व्यापार से सत्ता तक की सीढ़ियाँ चढ़ीं और पूरे देश को गुलामी की जंजीरों में जकड़ दिया। क्या आज फिर वही गलती दोहराई जा रही है? जब नेता अपने स्वार्थ और विलासिता के लिए जनता का धन और देश की अर्थव्यवस्था दांव पर लगा दे, तो यह केवल राजनीतिक भूल नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के भविष्य के साथ किया गया अपराध है।

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